रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति का एक पावन पर्व है, जो भाई बहन के प्रेम, विश्वास और सुरक्षा के बंधन को दर्शाता है। यह पर्व प्रतिवर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधती हैं, और उनकी लंबी उम्र बाद सुख समृद्धि की कामना करती हैं। बदले में भाई जीवन भर बहन की रक्षा का वचन देते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि राखी बांधने का भी कोई शुभ मुहूर्त होता हैं? जी हां दरअसल हिंदू पंचांग और ज्योतिष के अनुसार किसी भी धार्मिक कार्य को शुभ मुहूर्त में किया जाए तो उसका प्रभाव ज्यादा सकारात्मक होता है। इसी प्रकार राखी बांधने के लिए भी कुछ विशेष समय को अत्यंत शुभ माना गया है।
रक्षा बंधन का महत्व
रक्षाबंधन केवल एक पर्व नहीं बल्कि एक भावना है। यह भारतीय परिवारों में आपसी स्नेह, आदर और सुरक्षा के भाव को और अधिक मजबूत करता है। भाई बहन के रिश्ते को विशेष मान्यता देने वाला यह दिन आज भी हर आयु वर्ग के लोगों मे उत्साह और खुशी लेकर आता है ।
इतिहास में भी रक्षाबंधन के कई संदर्भ मिलते है:
- द्रौपदी और श्री कृष्ण की कहानी, जब श्री कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी ।
- रानी कर्णावती और हुमायूं , जहां रानी ने मुगल शासक को राखी भेजकर मदद मांगी थी ।
इन सब उदाहरणों से यह स्पष्ट है कि राखी एक रक्षा संकेत मात्र नहीं बल्कि विश्वास और वचन का प्रतीक भी है
राखी बांधने का शुभ समय क्यों होता है जरूरी ?
हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले पंचांग देख कर शुभ मुहूर्त निकालना एक परंपरा रही है। इसका उद्देश्य यह होता है कि कार्य का आरंभ सकारात्मक ग्रह नक्षत्र के समय किया जाए ताकि उसका फल उत्तम हो।
राखी बांधने में भी भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है
भद्रा काल क्या होता है?
भद्रा एक विशेष काल होता है, जिसे अशुभ माना गया है यह काल विशेष कर शुभ कार्यों जैसे विवाह, यज्ञ, मुंडन, या रक्षाबंधन जैसे पर्वों में वर्जित होता है । यदि रक्षाबंधन के दिन भद्राकाल हो, तो उसे समय राखी बांधना वर्जित होता है।
राखी बांधने का आदर्श समय कैसा होता है?
- भद्रा काल समाप्त होने के बाद
- प्रदोष काल ( शाम के समय ) में
- पूर्णिमा तिथि काम मान रहे समय में
हर वर्ष पंचांग के अनुसार यह समय अलग-अलगहोते हैं।
2025 में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (उदाहरण )
( कृपया स्थानीय पंचांग की पुष्टि करे, यह केवल उदाहरण हेतु है )
- रक्षाबंधन तिथि ~ 9 अगस्त 2025, शनिवार
- पूर्णिमा तिथि आरंभ ~ 8 अगस्त रात 9:45 बजे
- पूर्णिमा समाप्त ~ 9 अगस्त रात 8:30 बजे
- भद्राकाल ~ 9 अगस्त सुबह 10:10 बजे तक
- शुभ राखी बांधने का समय
- सुबह 10:10 बजे के बाद से लेकर शाम 7:00 बजे तक
- विशेष शुभ समय दोपहर 1:00 से 4:00 बजे तक
राखी बांधने की विधि
- पहले भाई को एक चौकी पर बिठाये।
- उसके माथे पर रोली और चावल से तिलक लगाए।
- फिर आरती करें और मिठाई खिलाये।
- इसके बाद भाई की कलाई पर राखी बांधे और मन ही मन उसकी सुरक्षा की प्रार्थना करे ।
- भाई उपहार स्वरूप कुछ देता है ।
अगर भाई दूर हो तो ?
आजकल के डिजिटल युग में बहने डाक या कोरियर से भी राखी भेजती है । कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स भी राखी डिलीवरी की सुविधा देते है साथ ही वीडियो कॉल के माध्यम से भी यह रस्म निभाई जा सकती है। भावना अगर सच्ची हो तो दूरी मायने नहीं रखती हैं।